
जब से ये संसार अस्तित्व में आया है तब से हर औरत और हर आदमी सेक्स में जाना चाहता है, ये एक अटल सत्य है. हर पुरुष और औरत सेक्स करना भी चाहते हैं और करवाना भी . मगर इस प्राकृतिक ज़रूरत को पूरा करने में हमेशा समाज एक बड़ी दीवार बनकर खडा रहा है.
हर औरत और आदमी 'सेक्स' में और 'सेक्स पार्टनर' में बदलाव चाहते हैं. मगर कुछ नियम और कानून उन्हें रोक लेते हैं. अदभुत बात ये है की जिन लोगों ने ये कानून बनाये हैं वो खुद भी जीवन में एकरसता नहीं चाहते.
हर स्त्री चाहती है की उसकी चूत में जो लिंग घुसता है उसकी मोटाई,लम्बाई और रगड़ में कुछ नयापन हो. हर पुरुष चाहता है की जिस योनी में वो रोज अपना लिंग घुसाता है उसकी कसावट,गहराई और ग्रिप में कुछ परिवर्तन हो. मगर हम सब अपने चेहरे आर ईमानदारी का झूठा मुखोटा लगाकर जीना पसंद करते हैं.
करोडों औरतें अपने नीरस सेक्स जीवन से ऊबी हुई हैं. पुरुष अपने उदासीन सम्भोग से उकताए हुए हैं. मगर दोनों अपने-अपने चेहरों पर झूठी नैतिकता और ईमानदारी का मास्क ओढे रहते हैं.वो चाहते हैं की कोई आये जो उनकी रसहीन सेक्स लाइफ में रंगों का इन्द्रधनुष बन जाये........मगर ऐसी स्वत
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